Hare Madhav

Guru Poornima

Guru poornima

आज इस कलिकाल में कच्चे ज्ञान का आडंबर चहूं ओर फैला है। जीव भटक जाता है, उन्हें भान ही नहीं की पूरण सत्य की राह कौन सी है। पर समय-समय पर स्वयं पारब्रम्ह परमेश्वर, जीवों की, अपने बच्चों की यह दयनीय दशा देख, परम दयाल दुखभंजन सतगुरु रूप में धरा पर प्रगट होते हैं। जब जीव ऐसे कमाई वाले हरिराया सतगुरु की पूरण साधसंगत में आते हैं, उनकी शरण में जब उन्हें पूरण शरण, पूरण सत्य, एकस के भेद के वचन, पूरण रहनुमाई सुहेली नदर प्राप्त होती है, तो उनकी रुह जागृत होती है। प्रभु रूप पूरण सतगुरु जड़ चेतन की गाँठें खोलने वास्ते, चैतन्य शबद से आतम को ऐसे अभ्यास की विधि जुगत बक्शते हैं कि प्रभु की अंशी रुहें मेहनत करें, अभ्यासी बन गुरुप्रीत, चरणप्रीत धार सच्चे नाम की कमाई करें, जड़ ज्ञान नहीं, चैतन्य के नूर को खिलाएं।

Mediatation
Satguru Vandna
Satguru Aarti
Satguru Amritvachan

Meditation

Satguru Vandna

Satguru Aarti

Satguru Amritvachan

गुरु पूर्णिमा पर्व, पूरन हरिराया सतगुरु से शिष्य का पूरन भक्ति पाकर निजधाम, सतगुरु धाम में एक होने का पर्व या यूं कहें रुह का हरिराया सतगुरु में अभेद होने का पर्व। प्यारी साधसंगत! जब तक कमाई वाला परमेश्वर, सतगुरु रूप में नही मिला, परम सत्य की खोज अधूरी है, दुखों का निबेरा असंभव है। पूरण सतगुरु अमृत के भंडारी हैं, संगतों पर सम्भाव से सदा दया रहमत की बरखा करते हैं, केवल वही सेवा नाम बंदगी करा हमारा जीवन संवार सकते हैं। प्यारों, पूरण सतगुरु की शरण संगति गृहण कर अपने निजधाम में एक होने का यतन करें।